एनएल चर्चा 47: ट्विटर और पैट्रियार्की विवाद, इमरान-ट्रंप टकराव, सीबीआई और अन्य
NL Hafta - A podcast by Newslaundry.com - Saturdays

इस बार की चर्चा विशेष रूप से ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी की भारत यात्रा के दौरान मचे घमासान को समर्पित रही. हालांकि वह अपने देश लौट चुके हैं. इसके अलावा भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने घोषणा की है कि स्वास्थ्य सही न होने के कारण वे 2019 का चुनाव नहीं लड़ेंगी, हालांकि उन्होंने राजनीति से सन्यास नहीं लिया है. पाकिस्तान के करीबी मित्र अमेरिका द्वारा 1.66 बिलियन डॉलर की सुरक्षा सहायता राशि रद्द करने का फैसला और भारत की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई की लगातार उलझती गुत्थी के इर्दगिर्द इस बार की चर्चा केंद्रित रही.इस बार की चर्चा में स्वतंत्र पत्रकार स्वाति अर्जुन बतौर मेहमान शामिल हुई साथ ही राजनीतिक पत्रकार सैय्यद मोजिज़ इमाम भी पहली बार चर्चा का हिस्सा बने. इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री के विशेष संवाददाता अमित भारद्वाज भी चर्चा का हिस्सा रहे. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.चर्चा की शुरुआत अतुल चौरसिया ने स्वाति अर्जुन के सामने एक सवाल रखकर की, “ट्विटर सीईओ जैक डोर्सी ने कुछ महिला पत्रकार और कुछ महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग की. उस मीटिंग में किसी ने उन्हें एक पोस्टर गिफ्ट किया, जिस पर लिखा था- स्मैश द ब्राह्मिनिकल पैट्रियार्की यानी ब्राह्मणवादी पितृसत्ता का नाश हो. इसे जाति विशेष से जोड़कर जिस तरह से दक्षिणपंथी समूहों ने हमला किया, उसे किस हद तक जायज या नाजायज कहा जा सकता है?"स्वाति ने कहा, “यह जो मुद्दा उठा है मुझे लगता है यह ब्लेसिंग इन डिस्गाइज़ मोमेंट है. सोशल मीडिया के लिए ट्विटर, फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म के लिए. अगर हम भारत में देखे तो हाल के 2-4 सालों में सोशल मीडिया ट्रोलिंग, गाली-गलौज, लिंचिंग जैसी चीजें लगातार बढ़ती जा रही है. पता नहीं कितनी महिलाओं को सोशल मीडिया पर रेप करने की धमकी दी गई हैं. महिलाओं के ख़िलाफ़ भद्दी भाषा का भी इस्तेमाल किया जाता है. तो इसलिए मैं इसको ब्लेसिंग इन डिस्गाइज़ मोमेंट ही मानती हूं.”वो आगे कहती हैं, “जहां तक सवाल है जाति का तो सोशल मीडिया में कहा जाता है कि पढ़ा-लिखा तबका है जो एक ख़ास तबके से ही आता है. वो ब्राह्मणवाद को ब्राह्मण कैसे समझ लेते हैं. जब आप ब्राह्मणवाद की बात कर रहे हैं तो आप ब्राह्मणवादी पितृसत्ता की बात कर रहे हैं. और जिस दलित महिला ने ये पोस्टर डोर्सी को दिया उनका ये अभियान काफी सालों से चल रहा है जो की दलित महिलाओं का ग्रुप हैं.”उन महिलाओं ने बस यही बताया की मैं एक पिछड़ी, निचली जाति से आती हूं तो जब भी मेरे ऊपर कोई हमला करता है तो उसमें जाति का एंगल जोड़ देता है.यहां पर अतुल ने हस्तक्षेप किया, “मुझे लगता हैं जिस तरह से ब्राह्मणवादी पितृसत्ता को ब्राह्मण जाति से जोड़ा गया उसके दो पहलु हैं. पहला, जो प्रभावी संस्कृति है देश की उस पर सवर्ण जातियों का कब्जा है. जाहिर है ब्राह्मण उसमें शीर्ष पर है. अगर किसी तरह की अच्छाई या बुराई इसमें है तो प्रतीकात्मक रूप से ब्राह्मण को इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि यह ब्राह्मणों की हितैषी की संस्कृति है.” Hosted on Acast. See acast.com/privacy for more information.